बांट दिया है परिवार को ############## दिल बांटा देश बांटा , बांट दिया है संसार को, लहू बांटा जमीं बांटा , बांट दिया है परिवार को । हर आंगन आज उदास है , दिल बैठा है दूर , खाट पर सोया मन , सपने देखने को है मजबूर । ऊंची उड़ान भरकर , भुला दिया है संस्कार को , लहू बांटा जमीं बांटा , बांट दिया है प्यार को । सुना है मन दिल में प्यास है , हकीकत बैठी है दूर , दर्द बिखराव का चेहरे पर , छलकती है जरूर । झूठी शान भरकर , जन्म दिया है तकरार को , लहू बांटा जमीं बांटा , बांट दिया है संसार को । ############################# प्रमोद मालाकार की कलम से ©pramod malakar #लहू बांटा जमीं बांटा