*मानवता* मनुष्य के विचारों की प्रखरता ही मानवता की प्रथम सीढ़ी है। मानव का सौन्दर्य मानवता के गुण में ही निहित है। जो मनुष्य स्त्री तथा पुरुष में भेद दृष्टि ना रखकर सिर्फ मानव है, यह दृष्टिकोण रखता वही श्रेष्ठ मानव है तथा वह व्यक्ति मानवता के लिए एक प्रेरणा हैं। यही प्रेरणा उस व्यक्ति की संगति में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को मानवीय बनाती है। विचारों की आकृति ही मानवता है। विकृत है वह विचार जिसमें मानवता का अभाव है।। मानवता की प्रवृत्ति सदैव प्राकृतिक होती है। #manavta