Nojoto: Largest Storytelling Platform

स्वतंत्र हैं पर आजाद नहीं आजादी के लिए, लाखों नें

स्वतंत्र हैं पर आजाद नहीं

आजादी के लिए,
लाखों नें खून कि नदियाँ बहाई हैं।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई,
सभी नें सिर कटाई हैं।
कुछ सरहदो में,
तो, कुछ कलमो से लड़ाई कि थीं।
इस भारत कों स्वतंत्र कराने के लिए,
बच्चे बच्चे नें लौहा लीं थीं।
हर घर-घर में चींगारी लिए,
ज्वाला भड़क रहीं थीं।
स्वतंत्रता ही हमारा लक्ष्य हैं।
सभी कों यही बात सिखाई थीं।
स्वतंत्र हुआ भारत हमारा,
लाखों के बलिदान से।
आजादी के 77वें साल हुए,
वीरों के बलिदान से।
स्वतंत्र हुआ भारत,
पर आजाद आज भी नहीं हैं।
कुछ लोंगो के कारण,
हमनें आजादी भी खोई हैं।
छिन लिया गया घर,
जिसने पेड़ों पर घर बनाया था।
उसकी आजादी कों पिंजरे में रखकर,
आजद बताया गया था।
आज भी लड़कियां बाहर जाने से कतराती हैं।
बाहर में भी वह असुरक्षित महशुस करती हैं।
स्वतंत्र हैं पर आजद नहीं।
यह सपना ना था वीरों का।
तिरंगा लहराएंगे देशों में,
अखंड भारत का सपना था जवानों का।
जब मिलेंगे उन्मुक्त गगन,
मिलेंगे जब सम्मान नरियों कों।
स्वतंत्रता का अर्थ पूरा होगा।
जब बढ़ावा देंगे धर्म कों।
           जय हिन्द, जय भारत 
                          -------------सूरज पंडित.

©writer_Suraj Pandit
  #India2023
स्वतंत्र हैं पर आजाद नहीं  बाबा ब्राऊनबियर्ड Subhash Chandra Anshu writer sing with gayatri Anupriya