क्या ढूँढ़ती हूँ मैं ज़िंदगी तुझसे क्या चाहती हूँ मैं बहुत ज़्यादा की ख्वाहिश तो नहीं पर क्यों लालची नज़र आती हूँ मैं? है यही ना मेरा कसूर तेरी नज़र में कि मकानों के जंगल में एक अपना घर चाहती हूँ मैं लोगों से कुछ वक़्त और रिश्तों में गरमाहट चाहती हूँ मैं.... (किसी ने मुझसे कहा है, मैं बहुत ज़्यादा माँगती हूँ, और ज़िंदगी इसके लिए नहीं है.. तो वो फ़िर किसलिए है? ये मैं पूछती हूँ..) #परिवार #घर #Happiness #YQdidi