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दोहा :- भोर उठे संक्रांति में , और करे स्नान । लेक

दोहा :-
भोर उठे संक्रांति में , और करे स्नान ।
लेकर प्रभु का नाम फिर , करे अन्न का दान ।।

प्रातः उठकर आप भी , निर्धन करे तलाश ।
उड़द नमक चावल सहित , दे दें उसे प्रकाश ।।

निशिदिन की ही भाँति तुम , बने रहो इंसान ।
दो अर्घ्य सूर्यदेव को , माँगों फिर वरदान ।।

मकर राशि के हो सभी , सफल देखिये काम ।
सूर्यदेव ने कर लिया , मकर राशि में धाम ।।

शानिदेव से मांग लूँ , अब तो मैं वरदान ।
दाता तुम ही कर्म के , लौटाये सम्मान ।।

१५/०१/२०२४   -  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-

भोर उठे संक्रांति में , और करे स्नान ।

लेकर प्रभु का नाम फिर , करे अन्न का दान ।।


प्रातः उठकर आप भी , निर्धन करे तलाश ।
दोहा :-
भोर उठे संक्रांति में , और करे स्नान ।
लेकर प्रभु का नाम फिर , करे अन्न का दान ।।

प्रातः उठकर आप भी , निर्धन करे तलाश ।
उड़द नमक चावल सहित , दे दें उसे प्रकाश ।।

निशिदिन की ही भाँति तुम , बने रहो इंसान ।
दो अर्घ्य सूर्यदेव को , माँगों फिर वरदान ।।

मकर राशि के हो सभी , सफल देखिये काम ।
सूर्यदेव ने कर लिया , मकर राशि में धाम ।।

शानिदेव से मांग लूँ , अब तो मैं वरदान ।
दाता तुम ही कर्म के , लौटाये सम्मान ।।

१५/०१/२०२४   -  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-

भोर उठे संक्रांति में , और करे स्नान ।

लेकर प्रभु का नाम फिर , करे अन्न का दान ।।


प्रातः उठकर आप भी , निर्धन करे तलाश ।

दोहा :- भोर उठे संक्रांति में , और करे स्नान । लेकर प्रभु का नाम फिर , करे अन्न का दान ।। प्रातः उठकर आप भी , निर्धन करे तलाश । #कविता