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चांद उथले सतह की वजह थामकर टिक पाने की हद से गुज़

चांद उथले सतह की
वजह  थामकर
टिक पाने की हद से
गुज़र जाता है
पूछती है सहमकर
मधुर यामिनी
यूं सरककर इधर से
किधर जाता है।
सर्द अहसास की न सुखन
थामता
जलते जज़्बात से दूरियां मापता
इधर  से उधर हो चली ख्वाहिशें
वादे करके हमेशा मुकर जाता है।
कुछ ग़म की जदें 
कुछ खुशी की  हदें
रोज बनता  है थोड़ा
बिगड़ जाता है।
टुकड़े टुकड़े में जीता रहा
उम्र भर
बस महीने के इक दिन संवर
जाता है।
                प्रीति







 #उथली सतह #यामिनी(रात)
#लुढकता चांद
#वजह #बेवजह
#yqdidi#yqhindiquotes #yopowrimo18
चांद उथले सतह की
वजह  थामकर
टिक पाने की हद से
गुज़र जाता है
पूछती है सहमकर
मधुर यामिनी
यूं सरककर इधर से
किधर जाता है।
सर्द अहसास की न सुखन
थामता
जलते जज़्बात से दूरियां मापता
इधर  से उधर हो चली ख्वाहिशें
वादे करके हमेशा मुकर जाता है।
कुछ ग़म की जदें 
कुछ खुशी की  हदें
रोज बनता  है थोड़ा
बिगड़ जाता है।
टुकड़े टुकड़े में जीता रहा
उम्र भर
बस महीने के इक दिन संवर
जाता है।
                प्रीति







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#लुढकता चांद
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preetikarn2391

Preeti Karn

New Creator