ओ नादान परिंदे,क्या राज है तेरा बंदे, सरहद है ना कोई सीमा है,चिंता ना कोई बीमा है, मजहब न कोई तेरा देश,नभ को छूना संदेश, ओ नादान परिंदे,क्या राज है तेरा बंदे। कल की चिंता से दूर,उडने का तेरा सुरूर, कर्मों पर तुझे गुरूर,पाता है लक्ष्य जरूर, ओ नादान परिंदे,क्या राज है तेरा बंदे। कोई लोभ नही है कल का,लेता आनंद हर पल का, तुझे पता नही किसी छल का,जीवन, दाने और जल का, ओ नादान परिंदे,क्या राज है तेरा बंदे। ©Anand Prakash Nautiyal # नादान #परिंदे