ऐ रात क्यों मुझे तुम इतनी प्यारी लगती हो ...!!! हां शायद इसलिए क्योंकि मैं अपने सपनों, अपने अपनों के लिए तुझसे प्रेम करने लगा हूं। या शायद इसलिए क्योंकि तुम मुझे और बेहतर बनाने की कवायत कर रही हो ।। ऐ रात क्यों मुझे तुम इतनी प्यारी लगती हो..!!! हो सकता है लगातार मिल रही असफलताओं ने मेरा मनोबल तोड़ दिया हो और तुम मुझे बताना चाहती हो की मैं फिर से उठ जाऊं टूटकर फिर से जुड़ने के लिए । या हो सकता है तुम मुझे जिंदगी की कसम - ओ - कस से रूबरू कराना चाहती हो।। ऐ रात क्यों मुझे तुम इतनी प्यारी लगती हो ...!! शायद तुम्हें यकीन है मुझ पर की 'तू मेरी जैसी कई रातों को पार कर भोर के सितारे की तरह चमकेगा एक दिन ।' या शायद तुम्हे यकीन है मेरी तकलीफों का की हर दिन आंख इसी आस में खुलती है की ये मेरी मेहनत की अंतिम रात हैं और सफलता का सवेरा मेरा बाहें पसारे इंतजार कर रहा हो ।। ऐ रात क्यों मुझे तुम इतनी प्यारी लगती हो ... ऐ रात क्यों मुझे तुम इतनी प्यारी लगती हो ..!!! कलम:- विकेश 'amrit' ©Vikesh Bagde #प्यारी_रातें