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vikeshbagde3298
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Vikesh Bagde

अधूरा तो नहीं मैं पर तू होता तो मुक्कमल होता सफर अपना ❣️UV 0102

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Vikesh Bagde

 सोचा नहीं था यूं छोड़ दौगी मुझे ...

सफर संग तेरे हमेशा मुक्कमल  होना था ..!!! 


हाथों में तेरे मेंहदी हो और घोड़े पर सवार मुझे होना था ..!!


बने दुल्हन मेरी तू और मैं तेरा शौहर...

ये समां गुजारिश से ... रंगीला होना था ...!!

सपने खूब थे तेरे - मेरे साथ कामयाबी के ...

पर कहां पता था .. इस तरह चकनाचूर कर  दौगी  उन्हें ...


और रह जाऊंगा मैं अकेला था ... रह जाऊंगा मैं अकेला था ।।



कलम : - विकेश 'amrit '

©Vikesh Bagde
  #kahani ✨
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Vikesh Bagde

लूट रहे हैं घर मेरे ,  ईमान पड़ा है ढेर में ।

मर रही  इंसानियत , जाहिलो की भीड़ में ।।


हर तरफ पसरा है उन्माद दंगो का , हतकंडो का ।
 
धर्म की  लड़ाई ने, न जाने कितनी जानें गवाई है ।।


परेशां है इंसा यहां नौकरी ,रोजगार को ।

लूट रही है आबरु  बेटी की ,तीन को, तलवार को ।।

सत्ता को कहां खनक है , बेचारे इंसाफ की ..!

जू तक न रेंग रही राजनीति के हकदार की ।।

कहां फ़र्क पड़ता है ,अब लाशों के ढेर से यहां ।

भीड़ ही हो गई अदालत, भीड़ ही इंसाफ भी ।

हो गई है आदत हमे अब  बेतुके बकवास की ।।

और इसलिए..

सितम कितना ही हो उसकी मियाद जाती तो है 

और है ,ये उलफत के तरंजुम में आफद की इमाद ।

 पर हर काली रात के बाद सुहानी सुबह आती तो है।
हर काली रात के बाद सुहानी सुबह आती तो है ..!


कलम :- विकेश 'amrit'

©Vikesh Bagde #धर्म_की_राजनीति
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Vikesh Bagde

💔मेरी व्यथा 💔


कभी मुझे तुम देवी मानते , कभी मानते शक्ति का रूप ।

पूजी जाती हूं भगवानों सी मैं , आखिर क्या है मेरा असली प्रारूप??


कभी मानते जननी जग की ,  तो कभी मानते मुझे तुम विश्व स्वरूप ।
कभी मानते हो मुझसे ही तो जन्म - मरण है,  कभी मानते मुझसे ही भौ सागर पार ।
 कभी मानते की हूं मैं मां की ममता, तो कभी मानते मुझसे लाड- दुलार ।।

फिर क्यों हो जाती हूं मैं कभी हाथरस की असहाय बेटी,  तो कभी दिल्ली की निर्भया सा वार ।
कभी कश्मीर की अशिफा बनती ,  तो अभी हो जाती मैं मणिपुर की भीड़ का अधिकार।
गिद्ध की तरह नोंची जाती हूं ,  हर बार मैं हैवानियत का बनकर शिकार ।।

कभी मुझे तुम भ्रुण में मारते हो ,  तो करते दहेज के लिए प्रताड़ित हर बार ।

धिक्कार है ऐसे सभ्य समाज पर , जो न सुन पाएं मेरी व्यथा का सार ...
जो न सुन पाएं मेरी व्यथा का सार ।।



🙏मणिपुर की नारी शक्ति को समर्पित 🙏

कलम :- विकेश 'amrit'

©Vikesh Bagde #मणिपुर_की_नारी_शक्ति_को_समर्पित 🙏
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Vikesh Bagde

ऐ रात क्यों मुझे तुम इतनी प्यारी लगती हो ...!!! 

हां शायद इसलिए क्योंकि मैं अपने सपनों, अपने अपनों के लिए तुझसे प्रेम करने लगा हूं।

या शायद इसलिए क्योंकि तुम मुझे और बेहतर बनाने की कवायत कर रही हो ।।



ऐ रात क्यों मुझे तुम इतनी प्यारी लगती हो..!!!



हो सकता है लगातार मिल रही असफलताओं ने मेरा मनोबल तोड़ दिया हो और तुम मुझे बताना चाहती हो की मैं फिर से उठ जाऊं टूटकर  फिर से जुड़ने के लिए ।

या हो सकता है तुम मुझे जिंदगी की कसम - ओ - कस से रूबरू कराना चाहती हो।।


ऐ रात क्यों मुझे तुम इतनी प्यारी लगती हो ...!!


शायद तुम्हें यकीन है मुझ पर की 'तू मेरी जैसी कई रातों को पार कर भोर के सितारे की तरह चमकेगा एक दिन ।'

या शायद तुम्हे यकीन है मेरी तकलीफों का की हर दिन आंख इसी आस में खुलती है की ये मेरी मेहनत की अंतिम रात हैं और सफलता का सवेरा मेरा बाहें पसारे इंतजार कर रहा हो ।।

ऐ रात क्यों मुझे तुम इतनी प्यारी लगती हो ... ऐ रात क्यों मुझे तुम इतनी प्यारी लगती हो ..!!!




कलम:- विकेश 'amrit'

©Vikesh Bagde #प्यारी_रातें
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Vikesh Bagde

की गुजर गया वो वक्त जब तुझे हम अपनी जान  मान बैठे थे ।

अपनो को छोड़ा, तुझे हम अपना ईमान मान बैठे थे ।

कहा पता था तू भी सितम- गर  निकलेगी...


तुझे  तो हम अपना सच्चा कलाम मान बैठे थे ।

 
हाथो  को तेरे देख कर, जन्मों जन्म का साथ मान बैठे थे ।

आज भी याद है वो तेरे झूठे वादे, जिसे हम सच्चाई मान बैठे थे ।

 और सोचा नही था कारवां इतना कम होगा तेरे संग ...

इसी गफलत में तुझे हम अपना भगवान मान बैठे थे ...
इसी गफलत में तुझे हम अपना भगवान मान बैठे थे ।।

 

कलम : - विकेश 'amrit'

©Vikesh Bagde #गफलत_का_तरंजूम ✨
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Vikesh Bagde

✨💙 बाबा साहेब आप हो महान 💙✨

जब थे दलितों के लिए घनघोर काले बादल, उनमें राह दिखाई आपने ।

दिन-हीन अछूतों को प्रज्ञा, शील, करुणा का पाठ पढ़ाया आपने ।

हे दलितों और पिछड़ों अपने हक और कर्तव्यों को जानो ऐसा बोध कराया आपने ।।

"दुनियां के अनमोल रत्न सारा विश्व करता आपको सलाम, हे बाबा साहेब आप हो महान ..
हे बाबा साहेब आप हो महान ।।"

दलितों के उत्थान को लेकर नई चेतना जगाई आपने, अपने सारे कष्टों को त्याग कर समाज का कल्याण कराया आपने।

शिक्षा, न्याय , बंधुत्व और समानता का अर्जन हमको कराया आपने ।।

"दुनियां के अनमोल रत्न सारा विश्व  करता आपको सलाम, हे बाबा साहब आप हो महान..
हे बाबा साहेब आप हो महान ।।" 

महाड़, मनुस्मृति दहन जैसे आंदोलन करके दलितों को उनका हक दिलाया आपने ।

मुकनायक और बहिष्कृत भारत जैसे पत्रों के माध्यम समस्त जनमानस को जगाया आपने।

महिला अपने अधिकारों को जाने ऐसी राह बनाई आपने ।

हिंदू कोड बिल संसद में  लाकर महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिलाया आपने ।।

"दुनियां के अनमोल रत्न सारा विश्व करता आपको सलाम,हे बाबा साहेब आप हो महान ...
हे बाबा साहेब आप हो महान ।।

अब आयी कानून की बारी तो संविधान रचकर दिखाया आपने ।
अपने अधिकारों की रक्षा कैसे करे कोई नागरिक यह ज्ञान सबको को बताया आपने।

1956 में एक महान बौद्ध धर्म अपनाया आपने ।

फिर पंचतत्व में लीन होकर सारे दलितों को एकजुट कराया आपने ।।

"दुनियां के अनमोल रत्न सारा विश्व करता आपको सलाम, हे बाबा साहेब आप हो महान..
हे बाबा साहेब आप हो महान ... हे बाबा साहेब आप हो महान ।।"


कलम :विकेश 'amrit'

©Vikesh Bagde #132वी_आंबेडकर_जयंती 💙✨
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Vikesh Bagde

आज भी पुराने संदेशों को तेरे देख तुझे याद कर लेता हूं ।

जानता हूं तू है नदारत मुझसे पर फिर भी तुझसे बात किए बिना ,बात हजार कर लेता हूं ।।


भुलाएं नहीं भूली जाती तू पता नहीं क्यों ,यही सोचकर अपना चेहरा उदास कर लेता हूं।
मुझे पता है तू मेरे बिना खुश है , पर तेरे बिना  मैं अधूरा सा सलाल कर लेता हूं।।


 जाती नहीं जहन से तू मेरे, इसीलिए बेशर्म सा तुझे msg 100 बार कर लेता हूं ।

और  मुझे पता है अब तू मेरी नहीं...मुझे पता है अब तू मेरी नहीं पर मैं तेरा हमेशा हूं 
यही बात 
मैं याद हजार बार कर लेता हूं।।

तकिए भीग जाते हैं मेरे तेरी याद में...तकिए भीग जाते है तेरी याद में ;
 मेरे इन आसुओं से, बस यही सवाल इनसे हर बार कर  लेता हूं...की सोचा था तुझे अपनी दुल्हन बनाना पर वो ख्वाब तो .. ख्वाब ही रह गया इसलिए खुद को माफ नहीं हर बार कर लेता हूं।।

और हां जब भी याद आती है न तेरी हमेशा तवशुम सी फोटो का दीदार कर लेता हूं।।

और फिर बस तुझे याद हर बार  लेता हूं.... तुझे याद हर बार कर लेता हूं ।।


💔miss you so much kitto 💔

©Vikesh Bagde #missing_someone 💔
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Vikesh Bagde

भोर के इंतजार में,  काली रातों का दीदार कर रहें ।

हम पथिक हैं, राहों पर अपने चल रहें।।

हैं रातें हमारी सुनसान सी, कुछ अकेले तो कुछ गुमनाम सी।

मानो ये हमसे कह रही अभी मंजिल है, अनजान सी ।।

सफर है भाई क्यूं रुके हो? चलो आगे मंजिल के पागे 
 
इतने में क्यों तुम डर रहे ,
दीदार हमारा कर रहे ।
तुम तो पथिक हो न,जो राहों पर अपने चल रहे ??

तो अब कहता हूं मैं इन रातों से ...

सुनो प्यारी हमारी रात , तुमसे कहते है एक अधूरी बात..
  मुश्किल सफर पूरा होता है,न चाहो फिर भी सफर पूरा होता है और तुम्हे घमंड है न..
अपनी मुश्किल भरी काली घटा पर
 तो सुनो ..
हर काली रात के बाद एक  सुहाना सवेरा होता है ।।

और इसीलिए भोर के इंतजार में तुम काली रातों का दीदार कर रहें ।
और हम पथिक है , राहों पर अपने चल रहे ।।

कलम :- विकेश 'amrit'

©Vikesh Bagde #Nightlight
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Vikesh Bagde

#meri_kalam_R

#PoeticAntakshri
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Vikesh Bagde

सोचता हूं कि एक दिन आएगा ऐसा जिस दिन मेरे सपनों की PDF में मेरा नाम होगा जिसके लिए मैं लड़ रहा ।।

सोचता हूं की एक दिन आएगा ऐसा जिस दिन मां के चेहरे पर वो मुस्कान होगी ,
जब वो अपने बेटे को अफसर बनता देखेगी ।
निहारेगी मुझको प्यार से और गले से लगाकर कहेंगी शाबाश बेटा !! 

सोचता हूं कि एक दिन आएगा ऐसा सुहाना, जिस दिन के लिए मैं आज इस भीड़ भरे शहर के छोटे से कमरे में जिंदगी की कसम -ओ - कस  से दिन - रात लड़कर अपने गांव की सुकून भरी गलियों में फिर वापस जाऊंगा ।।

पर इन सब के लिए मैं लड़ रहा हूं आज खुद से और अपने वजूद से, की मैं हूं जिंदा ! 
हर दिन  आंख इसी आंस में खुलती है की.....

"तेरा भी सबेरा होगा रे राही , तू इस उलझन भरी रात को अपनी मेहनत के कदमों से तो चल।

सफर है मुश्किलों भरा तो क्या हुआ, तू अपने पैरों पर यकीं तो कर ।।" 

कलम : - विकेश 'amrit '

©Vikesh Bagde #सफर #सपना
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