एक खिड़की है मेरे कमरे में, जो हमेशा खुली रहती है, उस खिड़की के उस पार, हर कोई आता जाता दिखता है, पर इंतज़ार मुझे सिर्फ़ तुम्हारा रहता है, उस खिड़की से हर मौसम दिखता है, सूरज उगता हुआ भी वहीं से दिखता है, रात ढलती भी वहीं से दिखती है, रोज़ रात को चांद भी वहीं से दिखता है, उसे देख कर भी ख़्याल तुम्हारा आता है, कि तुम्हें दूर से भी चाह सकती हूं..!! ©ख्वाहिश _writes #rayofhope