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भाई मां की परछाई है भाई बेहनो का अभिमान है भाई बच

भाई  मां की परछाई है भाई
बेहनो का अभिमान है भाई
बचपन का सच्चा दोस्त हैं भाई
बेहनो की रक्षा का वादा है भाई
बेहनो ने भाई की कलाई में
बाधां है रक्षा का धागा भाई ने
दिया अपना वादा ता उम्र करुंगा रक्षा
बेहन चली गईं ससुराल धीरे धीरे
रिश्ते पर जम गई धूल भूल गया भाई
टूट गया मायाका का 
हो गई बेहन आज दिल से भी पराई
भाई की बेहन को फिर  कभी याद ना आई

©Babita Buch
  #राखी