बहुत दिनों बाद चाहा अपना गुजरा कल देखें, भूत की यादों को वर्तमान की आँखों से निरेखें। पन्ने तो पलट रहा था अपने बीती हुई यादों के, धुंधली नज़र आ रही थी जो हमनें भुला दिया, ना कमी थी मेरी चाहतों में, ना ही भावनाओं में, फिर भी ना जाने क्यों वक्त ने हमें रुला दिया। बीते हुए क्षणों को देखा धुंधली नज़र आ रही थी, शायद अब इन आँखों में रोशनी की कमी थी, पन्नों को पलटकर देखा ग़म नज़र नहीं आया, ध्यान से देखा तो पन्नों पर वक्त की धूल जमी थी। Writing skill development challenge :5 दिए गए विषय पर Collab कर अपनी मर्जी से ( कविता ) रचना लिखें, अपनी रचना के Caption में अपने किसी मित्र को Tag करें और इस Post की Comment Box में Done लिखें। शब्दों और पंक्तियों की कोई सीमा नहीं।एक दूसरे की रचनाएँ पढ़ें, सीखें और सिखाएँ। रोज़ाना लिखते रहें और लेखन कला में माहिर बने। Shayari Aaj Bhi शायरी आज भी Shayari Aaj Bhi