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समाज आज जिसे सिनेमा-धारावाहिकों में बिना विरोध द

समाज आज जिसे सिनेमा-धारावाहिकों 
में  बिना विरोध देखेगा/ स्वीकारेगा 
वो दर्शन कल उसकी संस्कृति का 
दर्पण होगा। कल तक जो 
आइटम सॉन्ग/डांस फिल्मों में
 पसंद किए जाते थे,
 जो पहनावा पर्दे तक सीमित था,
 आज वो सभ्य घरों का चरित्र हो चला है। 
अतः जो दृश्य अपने घर नहीं देखना चाहते
 उसे सिनेमा में भी आमंत्रित ना करें..
प्रचार कर उसके निर्माण को 
प्रेरित ना करें🙏
अर्चना'अनुपमक्रान्ति'

©Archana pandey
  #दृश्य