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अदनासा-
विडियो सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://www.instagram.com/reel/C_Xi0sPOOA2/?igsh=b2pvdnFqMXQ4NXRq #हिंदी #दृश्य #ऐसाहोताहै #जीवन #भूतकाल #भविष्य #वर्तमान #Instagram #cartoon #अदनासा वीडियो में वीडियो डाउनलोड Extraterrestrial life
read moreShubham Bhardwaj
White क्या खूबसूरत एहसास कराया है। प्रकृति ने यह परिदृश्य दिखलाया है।। लाख जतन कर जिसको पा न सके हम। एक पल में कुदरती वह दृश्य दिखाया है।। ©Shubham Bhardwaj #good_night_images #दृश्य #परिदृश्य #खास #एहसास #कराया #लाख #जतन #करके
Rajesh vyas kavi
बेजुबान पंछी था _जन्म के बाद धीरे _ धीरे उड़ान सीख रहा था । घर आंगन में इधर _उधर फुदकते देख, हमारा दिन बीत रहा था । आज भीषण गर्मी के कारण , देखते _ देखते ही उसके प्राण पखेरू उड़ गए । मन उदास हो गया । © Rajesh vyas kavi गर्मी ने ली जान ___ #वेदना #पंछी #की #आंखों #देखा #दृश्य
अदनासा-
Archana pandey
समाज आज जिसे सिनेमा-धारावाहिकों में बिना विरोध देखेगा/ स्वीकारेगा वो दर्शन कल उसकी संस्कृति का दर्पण होगा। कल तक जो आइटम सॉन्ग/डांस फिल्मों में पसंद किए जाते थे, जो पहनावा पर्दे तक सीमित था, आज वो सभ्य घरों का चरित्र हो चला है। अतः जो दृश्य अपने घर नहीं देखना चाहते उसे सिनेमा में भी आमंत्रित ना करें.. प्रचार कर उसके निर्माण को प्रेरित ना करें🙏 अर्चना'अनुपमक्रान्ति' ©Archana pandey #दृश्य
Shubham Bhardwaj
यह दुनिया है,इसका हर दृश्य पल में गुजर जायेगा। चाहो कितना भी ,वह लोटकर मगर आयेगा नही ।। आकर चले गये यहाँ से दुनिया के कई मुसाफिर । क्यों समझते हो फिर जो आयेगा सफर से जायेगा नही।। ©Shubham Bhardwaj #safar #यह #दुनिया #है #यहाँ #का #हर #दृश्य #गुजर #जायेगा
Shubham Bhardwaj
मौत के बाद,दृश्य बदल जाता है। जो हँसाता था कभी, आज रुलाता है।। ©Shubham Bhardwaj #feelings #मौत #के #बाद #दृश्य #बदल #जाता #है
अदनासा-
भाग २ "दृश्य या अदृश्य" एक नया दृश्य जो अभी-अभी देखा है, मैं उस प्रसंग के बारे में बात करता हूं, मैंने दृश्य देखा एक बुजुर्ग व्यक्ति को, मैली सफ़ेद कमीज़ पहने, जांघों के उपर तक काले रंग का फटा हुआ नाम मात्र का वस्त्र, ज़्यादा सफ़ेद और कम काली लंबी दाढ़ी, नाक के सहारे एक दम नीचे जाकर टिकी साधारण रस्सी में बंधी ऐनक, रिमझिम गिरते सावन की बूंदों में तर बतर शरीर, नंगे दोनों पैरों में बंधे काले धागें जाने किस नज़र से उन्हें बचाने की चेष्टा कर रही थी। होंठों पर कुछ मज़ाक़िया तो कुछ गंभीर सी हंसी लिए, दूर से देखते मेरे पास आये और चार तह में लपेटी एक दस रूपए के नोट देकर, मेरे ठीक पीछे एक शिक्षा भवन की तरफ़ तो कभी मेरी तरफ़ इशारा करते कुछ कहने लगे, मगर मैं सुन नही पाया, जैसे वे कह रहे हो कि यह नोट उस शिक्षा भवन में दे दो या तुम रख लो, मैंने संकुचाते हुए उस दस रुपए के तहदार नोट को पुनः उन्हें लौटते हुए उनसे कहा, आप रख लो हमें नहीं चाहिए, और वे मुस्कुराते हुए उस दस रूपए का नोट लेकर, तुरंत अपने मुंह में डाले निगल गए, और मैं इस दृश्य को देखकर अवाक रह गया और आश्चर्य भरी आंखों से उन्हें देखता खड़ा रहा और वे मुस्कुराते चले गए, वे कम अंतराल में दो बार, पुनः मेरी ओर मुस्कुराते चहलकदमी करते रहे, पहले अंतराल में मैं उन्हें बीस रूपए का नोट देकर कुछ खाने के लिए कहा, वे पैसे लेकर मुस्कुराते चले गए, दुसरे अंतराल में मैंने उन्हें नमस्कार किया और उन्होंने मुस्कुराते कुछ दूर से मुझे पलटकर देखा, मानो मेरा अभिवादन स्वीकार कर रहे हो, फ़िर ना जाने कहां चले गए। मैं सोच रहा हूं मैंने कौन सा दृश्य देखा था, भ्रम का, मिथ्या का, सत्य का या असत्य का या वे कौन थे, भगवान थे, साधु थे, संत थे भिक्षुक थे या मति से विक्षिप्त मात्र व्यक्ति, या भ्रम में मैं था की कहीं वे कोई ब्रम्ह शक्ति तो नही। ©अदनासा- #हिंदी #दृश्य #अदृश्य #सत्य #भ्रम #HopeMessage #Instagram #Pinterest #Facebook #अदनासा
अदनासा-
हर दृश्य पर दृष्टि मानक रखना, समक्ष अनंत दृश्यों का दृश्य है। अदृश्य पर दृष्टि विचारक रखना, नित्य दक्ष हो दृश्य भी अदृश्य है। हमारे आसपास दृश्यों की एक ऐसी श्रृंखला है, जिसका कोई अंत नही, दृश्य में इतनी शक्ति है कि, जो आंखों के सुख से वंचित हैं वह भी, अपनी छठी इंद्रिय से दृश्य को देखने की क्षमता रखता है, और एक हम भी जो आंखों का सुख पाकर, कभी कभी हम भ्रम की आंखों से जो दृश्य देखते हैं, वह होता कुछ है और दिखता कुछ और है, इसलिए यह भी एक महत्वपूर्ण कारण ही है की, बिना तप एवं तज के भ्रमित आंखों से, ब्रह्म को सरलता से देखपाना तो संभव नही है, परंतु असंभव भी नही, और यही भ्रमित दृश्य को ही मृगमरीचिका कहते है, वैसे तो दृश्य देखने की कोई समय सीमा नही है, यह दृश्य हमें असमय कभी भी अचरज में, तो कभी सोच में ,तो कभी डर के साथ, कभी संवेदना के साथ, तो कभी निडरता के साथ मानो हर प्रकार के दृश्यों से अवगत करता रहता है, अब हमने क्या देखा यह हमारे ज्ञान एवं विवेक पर निर्भर है। वास्तव में एक महादृश्य तो है जो हमारी आंखों के समीप से अलग-अलग दृष्यों के साथ अपनी अपनी दृश्य यात्रा पर हैं, हम स्वयं भी एक दृश्य है जो केवल अपने दृश्यों के पीछे भाग रहे होते है अपनी दृश्य यात्रा पर। हम अपनी आंखों से जाने क्या क्या देखते हैं, मैंने भी आज बारिश की बूंदों से लिपटीं सुबह देखी, कांक्रीट के सड़कों पर बदहवास दौड़ती एंबुलेंस, तो कभी जल्दबाजी में बैचैन, सरपट भागती वाहनों के शोर वाली सुबह की शुरुआत देखी, कहीं पर गुमसुम अपने चांद के इंतज़ार में ढलती चांदनी रातें देखी तो कहीं अपनी शबाब पर गुमान खाती झूमती काली रातें देखी, विद्यालय में ज्ञान से ज्ञानी एवं विवेक से वंचित विद्यार्थी देखा, शिक्षा का बोझ अपनी कमज़ोर आय की कमर पर उठाते अभिभावक देखे, यह भी दृश्य देखा, वह भी दृश्य देखा और देखा अनदेखा दृश्य भी। एक नया दृश्य जो अभी-अभी देखा है, मैं उस प्रसंग के बारे में बात करता हूं, मैंने दृश्य में देखा एक बुजुर्ग व्यक्ति को, मैली सफ़ेद कमीज़ पहने, जांघों के उपर तक काले रंग का फटा हुआ नाम मात्र का वस्त्र, दोनों हाथों में आस्थाओं एवं विश्वास के कुछ बंधी वस्तुओं का जाल, ज़्यादा सफ़ेद परंतु कम काली लंबी दाढ़ी, नाक के सहारे एक दम नीचे जाकर टिकी साधारण रस्सी में बंधी ऐनक, रिमझिम गिरते सावन की बूंदों में तर बतर शरीर, नंगे दोनों पैरों में बंधे काले धागें जाने किस नज़र से उन्हें बचाने की चेष्टा कर रही थी। होंठों पर कुछ मज़ाक़िया तो कुछ गंभीर सी हंसी लिए, दूर से देखते मेरे पास आये और चार तह में लपेटी एक दस रूपए के नोट देकर, मेरे ठीक पीछे एक शिक्षा भवन की तरफ़ तो कभी मेरी तरफ़ इशारा करते कुछ कहने लगे, मगर मैं सुन नही पाया, जैसे वे कह रहे हो कि यह नोट उस शिक्षा भवन में दो या तुम रख लो, मैंने संकुचाते हुए उस दस रुपए के तहदार नोट को पुनः उन्हें लौटते हुए उनसे कहा, आप रख लो हमें नहीं चाहिए, और वे मुस्कुराते हुए उस दस रूपए का नोट लेकर, तुरंत अपने मुंह में डाले निगल गए, और मैं इस दृश्य को देखकर अवाक रह गया और आश्चर्य भरी आंखों से उन्हें देखता खड़ा रहा और वे मुस्कुराते चले गए, वे कम अंतराल में दो बार, पुनः मेरी ओर मुस्कुराते चहलकदमी करते रहे, पहले अंतराल में मैं उन्हें बीस रूपए का नोट देकर कुछ खाने के लिए कहा, वे पैसे लेकर मुस्कुराते चले गए, दुसरे अंतराल में मैंने उन्हें नमस्कार किया और उन्होंने मुस्कुराते कुछ दूर से मुझे पलटकर देखा, मानो मेरा अभिवादन स्वीकार कर रहे हो, फ़िर ना जाने कहां चले गए। मैं सोच में हूं मैंने कौन सा दृश्य देखा था, भ्रम का, मिथ्या का, सत्य का या असत्य का या वे कौन थे, भगवान थे, साधु थे, संत थे भिक्षुक थे या मति से विक्षिप्त मात्र व्यक्ति, यह मेरे भ्रम की हार की कहीं वे कोई ब्रम्ह शक्ति तो नही थे। ©अदनासा- #हिंदी #दृश्य #अदृश्य #भ्रम #मिथ्या #Ray #Instagram #Pinterest #Facebook #अदनासा
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