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" कुछ मेहरबान हो चला हूं , दिल के हाथों ये हसरतें

" कुछ मेहरबान हो चला हूं ,
दिल के हाथों ये हसरतें ले चले हैं , 
कोई बात आये कोई बात छेड़ु , 
गुमनाम की रुसवाई हैं इस खामोशी में ,
उसे देख के दिल भर जाता ऐसे रुबाई में ,
मस्लन उसने कुछ बात छुपाई हैं बातों-बातों में. " 

                             --- रबिन्द्र राम  " कुछ मेहरबान हो चला हूं ,
दिल के हाथों ये हसरतें ले चले हैं , 
कोई बात आये कोई बात छेड़ु , 
गुमनाम की रुसवाई हैं इस खामोशी में ,
उसे देख के दिल भर जाता ऐसे रुबाई में ,
मस्लन उसने कुछ बात छुपाई हैं बातों-बातों में. " 

                             --- रबिन्द्र राम
" कुछ मेहरबान हो चला हूं ,
दिल के हाथों ये हसरतें ले चले हैं , 
कोई बात आये कोई बात छेड़ु , 
गुमनाम की रुसवाई हैं इस खामोशी में ,
उसे देख के दिल भर जाता ऐसे रुबाई में ,
मस्लन उसने कुछ बात छुपाई हैं बातों-बातों में. " 

                             --- रबिन्द्र राम  " कुछ मेहरबान हो चला हूं ,
दिल के हाथों ये हसरतें ले चले हैं , 
कोई बात आये कोई बात छेड़ु , 
गुमनाम की रुसवाई हैं इस खामोशी में ,
उसे देख के दिल भर जाता ऐसे रुबाई में ,
मस्लन उसने कुछ बात छुपाई हैं बातों-बातों में. " 

                             --- रबिन्द्र राम