मैं दीवाना हूँ ओ चंचला तेरी चपलता का मैं दिवाना हूँ नैनो के दीपों का मैं परवाना हूँ। चाल तेरी सर्पनी और डंक डसीला है ज़हर है तेरी जवानी सब ने माना है ज़हर के जेहरीले फन का मैं दिवाना हूँ।। जग जिगर मे तेरी जुल्फें जुल्म करती हैं क़त्ल करती हैं जब भी हिलती डूलती हैं देखकर तुझको सभी फिर आहें भरते हैं एक झलक की चाह मे आवारा फिरते हैं। मैं दिवाना हूँ तेरा, मैं दीवाना हूँ।। तू नशीला जाम जहरीला पेमाना है फिर भी पीने को खड़ा सारा जमाना है। जहर के एक घूँट को सब पीना चाहते हैं जीना चाहते हैं तेरे संग मरना चाहते हैं। मैं दिवाना हूँ तेरा, मैं दीवाना हूँ।। तू नशीला एक नशा है मैं नशे मे चूर हूँ दूर हूँ जितना तुझसे उतना ही करीब हूँ तुझको पाने के लिए दिल से मैं मजबूर हूँ नशे मे हूँ तेरे इसलिए ही मशहूर हूँ। ज़हर तेरे जिगर मेरे नशे का यही फसाना है मैं दिवाना हूँ तेरा मैं दीवाना हूँ।। मदन मोहन ©Madan Mohan Mai Deewana Hoon- Madan Mohan #Poet #Poetry #OneSeason