फिर से छुपा लो ना मां मुझको तेरे आंचल में। उंगली पकड़ के पापा मुझे ले चलो बचपन में। वो मस्तियां मां सारी जिदां है फिर से धड़कन में। ले चलो ना पापा मुझे सुंदर से उस लड़कपन में। जो भूला हुआ हुं डांटना तेरा मां अब इस क्षण में। रोते को गले लगाना पापा सुनहरे उस अपनेपन में। असल चाहत तो तू ही थी मां अब ऐसा है धन में। चंद पैसों का लालच पापा भर दो फिर से मन में। मैं अब फंस गया हूं मां जिंदगी के इस दल-दल में। कंधे पे लो बिठा पापा मुझे ले चलो ना बचपन में। ©RS Sumit Sipper #नहीं चाहिए #बिछौना अलग मुझे मां #सोना है तेरी #बाहों में। नहीं #आजादि रही वो #पापा जो थी #बचपन की #राहों में।