शरारत करते रहते थे तोड़ा फोड़ी करते थे मम्मी की डाट सुनते सुनते थे क्रिकेट खेला करते थे पर फिर भी खुश रहते थे वो दिन भी क्या दिन थे। घूमा घूमी करते थे चाट पकोड़ी खाते थे पापा चीजें दिलाते थे बड़े सपने रखते थे पर फिर भी मासूम होते थे वो दिन भी क्या दिन थे। ©PRATEEK ROHATGI vo din bhi kya din the #Life #poem