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शरारत करते रहते थे तोड़ा फोड़ी करते थे मम्मी की डाट

शरारत करते रहते थे
तोड़ा फोड़ी करते थे
मम्मी की डाट सुनते सुनते थे
क्रिकेट खेला करते थे
पर फिर भी खुश रहते थे
वो दिन भी क्या दिन थे।

घूमा घूमी करते थे
चाट पकोड़ी खाते थे
पापा चीजें दिलाते थे
बड़े सपने रखते थे
पर फिर भी मासूम होते थे
वो दिन भी क्या दिन थे।

©PRATEEK ROHATGI vo din bhi kya din the
#Life #poem
शरारत करते रहते थे
तोड़ा फोड़ी करते थे
मम्मी की डाट सुनते सुनते थे
क्रिकेट खेला करते थे
पर फिर भी खुश रहते थे
वो दिन भी क्या दिन थे।

घूमा घूमी करते थे
चाट पकोड़ी खाते थे
पापा चीजें दिलाते थे
बड़े सपने रखते थे
पर फिर भी मासूम होते थे
वो दिन भी क्या दिन थे।

©PRATEEK ROHATGI vo din bhi kya din the
#Life #poem

vo din bhi kya din the #Life #poem #Talk