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Jai Shri Ram मनहरण घनाक्षरी :- राम-राम जप रहे , श

Jai Shri Ram मनहरण घनाक्षरी :-

राम-राम जप रहे , शरण में चल रहे ,
भव्य है भवन बना , अपने श्री राम का ।

मन तन धन से हैं , अपने वचन से हैं ,
करते जो भी काम हैं , सुन प्रभु धाम का ।

खुल के जो न साथ थे ,करते जो विरोध थे , 
त्याग वह निमंत्रण , कहें सब नाम का ।

छोड़ उन्हें बढ़ चलो , आगे ही निकल चलो ,
फल देगें राम जी ही , उनके आराम का ।।

१८/०१/२०२४   -  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :-


राम-राम जप रहे , शरण में चल रहे ,

भव्य है भवन बना , अपने श्री राम का ।
Jai Shri Ram मनहरण घनाक्षरी :-

राम-राम जप रहे , शरण में चल रहे ,
भव्य है भवन बना , अपने श्री राम का ।

मन तन धन से हैं , अपने वचन से हैं ,
करते जो भी काम हैं , सुन प्रभु धाम का ।

खुल के जो न साथ थे ,करते जो विरोध थे , 
त्याग वह निमंत्रण , कहें सब नाम का ।

छोड़ उन्हें बढ़ चलो , आगे ही निकल चलो ,
फल देगें राम जी ही , उनके आराम का ।।

१८/०१/२०२४   -  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :-


राम-राम जप रहे , शरण में चल रहे ,

भव्य है भवन बना , अपने श्री राम का ।

मनहरण घनाक्षरी :- राम-राम जप रहे , शरण में चल रहे , भव्य है भवन बना , अपने श्री राम का । #कविता