कुछ सपनों का पुनर्निर्माण हो रहा है इन दिनों , घर बैठे । कई रिश्तों का पुनर्वास हो रहा है बातें कम , विचारों में ठहराव हो रहा है इन दिनों , घर बैठे । दूरियाँ . . . अब रात - दिन का फ़र्क कहाँ महसूस कर पा रही हैं नज़दीकियों पर पुनर्विचार हो रहा है इन दिनों , घर बैठे । #हिन्दीनामा हिन्दीनामा