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अश्क़ तो पलकों की शाख़ों पे सिमटकर रह गए कपकपाते ह

अश्क़ तो पलकों की शाख़ों पे सिमटकर रह गए
कपकपाते होंठ उससे  जाने  क्या क्या कह गए
एक दिन तो तुम यक़ीनन हाथ मेरा थामोगे
बस इसी उम्मीद पर हम ग़म जहां के सह गए
मुस्कान शर्मा

©मुस्कान शर्मा
  #Women एक शक्ति
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MÛSKÅÑ

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#Women एक शक्ति #लव

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