सखी पगड़ी ही ताज से कम नहीं पहन सकने का हरेक में होता दम नहीं शौक़ शौक में पहनने वाले भागते देखे हैं मौन रहकर सज्जन बिगड़ी साधते देखें है बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla KK क्षत्राणी