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एक लम्बा बक्त मैंने गुज़ारा है अपनों के साथ रहते

एक लम्बा बक्त मैंने  गुज़ारा  है
अपनों के साथ  रहते हुए
लेकिन अब लगता है वें सब मुझसे ऊब चुके है
या फिर मेरे सानिध्य से  थक चुके है
अचानक  एक दिन मुझे अपने एकांत मे
पुरखो की  जानी  पहचानी  आवाज़े  सुनी
जो मुझे अपने पास  बुलाने का  आग्रह  कर
रहे थे
मैंने उनके पास  चले जाने का  निर्णय ले ही  लिया

©Parasram Arora
  पुरखे

पुरखे #कविता

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