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थामों जब हाथ तो जरा जोर से दबा देना, देखना है कित

थामों जब हाथ तो जरा जोर से दबा देना,
 देखना है कितना दम बचा है अब रिश्तों में।

अब आवारा जो हैं हम और न काबिले बर्दाश्त भी
तो जिंदगी का अलग वसूल है दर्द सहेंगे किस्तों में।

कभी देरीना रास्तों से गुजर जाएंगे तेरी महक छूकर
और ढूंढ लेंगे हम अपना खुदा उसके फ़रिश्तों में।

#माधवेंद्र_फैज़ाबादी
थामों जब हाथ तो जरा जोर से दबा देना,
 देखना है कितना दम बचा है अब रिश्तों में।

अब आवारा जो हैं हम और न काबिले बर्दाश्त भी
तो जिंदगी का अलग वसूल है दर्द सहेंगे किस्तों में।

कभी देरीना रास्तों से गुजर जाएंगे तेरी महक छूकर
और ढूंढ लेंगे हम अपना खुदा उसके फ़रिश्तों में।

#माधवेंद्र_फैज़ाबादी