गुमशुदा हूं मैं अपनी जी जिंदगी की पहेली मैं, थक गया हूं पतवार थामते थामते इस जिंदगी की नाव की , अब ये तूफान जरा थमने को था ये पहेली खुलने को थी, फासला थोड़ा ही रह गया था किनारे से , फिर एक धोखा आया हवा का झोंका आया , और फिर से शुरू हो गई कोशिश जीने की। ©Prashant kumar #falsafa #Life_experience #zimdagi