....औरत .... (read in caption) .....औरत..... कई बंदिशों से जकड़ा है तुम्हे, अकेली देख पकड़ा है तुम्हें, हमेशा कहा तुम्हे पराई घर की, रही सदा तुम पर परछाई डर की, छोटी उम्र में तुम्हें व्याह दिया है, तुम्हारे सपनों को मार दिया है,