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मुझे एक ढाल न बनाया जाय। मैं जीता,जागता हु महज एक

मुझे एक ढाल न बनाया जाय।
मैं जीता,जागता हु महज एक खाल न बनाया जाय।
मेरी नजरो में ही  झलकता है चेहरा तेरा,
ये तुम्हे देखे तो सवाल न बनाया जाय।
खुद ही फ़ँस चुका हूं तेरी रेशमी जुल्फों में,
 मुझे फ़साने के लिए कोई जाल न बनाया जाय।

©Actor vivek poetry #ढाल
#खाल
मुझे एक ढाल न बनाया जाय।
मैं जीता,जागता हु महज एक खाल न बनाया जाय।
मेरी नजरो में ही  झलकता है चेहरा तेरा,
ये तुम्हे देखे तो सवाल न बनाया जाय।
खुद ही फ़ँस चुका हूं तेरी रेशमी जुल्फों में,
 मुझे फ़साने के लिए कोई जाल न बनाया जाय।

©Actor vivek poetry #ढाल
#खाल