समाज की पूर्णता है । समाज तबतक विक्षिप्त और विदीर्ण तथा विकासरहित है जबतक समाज में बराबरी की संज्ञा विद्यमान नहीं है । केवल स्त्री ही नहीं बल्कि हर जीव में जबतक बराबरी नहीं है तबतक विकास और ज्ञानोत्थान सम्भव नहीं है । नमस्कार लेखकों। ✨ त्याग का दूसरा नाम नारी सहनशीलता का अभिप्राय नारी फिर क्यों पुरुषों से कमतर समझते उसे अन्नपूर्णा है तो फिर चण्डी भी है नारी । हमारे #rzhindi पोस्ट के साथ collab करें और अपने विचार व्यक्त करें।