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योग - दोहावली योग पुराना है बहुत , नहीं आज की बा

योग - दोहावली 

योग पुराना है बहुत , नहीं आज की बात ।
कर्म - कुशलता योगहै ,गीता की सौगात ।
बिखरा था जो वेद में , योग - ज्ञान भंडार ।
पातंजलि  समेट  उसे ,  दिया हमें उपहार ।
योग महज कसरत नहीं,यह इक साँस विधान।ज्ञान,भक्ति औ कर्म ही , इसके हैं सोपान।
सुबह उठें योगा करें , बिल्कुल खाली पेट ।
नित्य  इसे करते  रहें ,  सेहत  रखें समेट ।
सेहत जैसा  धन नहीं ,तन सा ना  जागीर।
कुदरत ने सबको दिया,इक अनमोल शरीर। 
   ….. सतीश मापतपुरी

©Satish Mapatpuri योगा
योग - दोहावली 

योग पुराना है बहुत , नहीं आज की बात ।
कर्म - कुशलता योगहै ,गीता की सौगात ।
बिखरा था जो वेद में , योग - ज्ञान भंडार ।
पातंजलि  समेट  उसे ,  दिया हमें उपहार ।
योग महज कसरत नहीं,यह इक साँस विधान।ज्ञान,भक्ति औ कर्म ही , इसके हैं सोपान।
सुबह उठें योगा करें , बिल्कुल खाली पेट ।
नित्य  इसे करते  रहें ,  सेहत  रखें समेट ।
सेहत जैसा  धन नहीं ,तन सा ना  जागीर।
कुदरत ने सबको दिया,इक अनमोल शरीर। 
   ….. सतीश मापतपुरी

©Satish Mapatpuri योगा

योगा