जीवन को सुख में और सुकू में जीने की जुगत में जगत का का नक्शा और प्रकृति को विकृत करता मनुष्य यह सोचता है की वो सुखमय जीवन व्यतीत कर लेगा पर जैसे जैसे वो खिलवाड़ करता जा रहा हैं प्रकृति के साथ वो मानसिक सामाजिक रूप से विकृत और सूकु और आनंद से दूर होता जा रहा हैं जितना हो सके पेड़ पौधे लगाए इस मानसून और अपनी हर सांस बचाए , पीपल नीम तुलसी और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए #neerajwrites इस मानसून ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाओ