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क़ाबिज़ है ख़ुशियों की आस, भले ही चहूँ-ओर सिर्फ़ ग

क़ाबिज़ है ख़ुशियों की आस, भले ही चहूँ-ओर सिर्फ़ ग़म हैं! 
बेपनाह इश्क़ है ख़्वाबों से, ज़ालिम हक़ीक़त से लगाव कम है! 
सर आंखों पे बिठा लेगा ज़माना मेरी क़ाबिलियत पहचान कर, 
देखो तो - मेरी ज़िंदगी, मेरी दुनिया कैसे उम्मीदों पे क़ायम है...

©Shubhro K
  #07Jun2022 Manali Rohan #मरजानो_मनोजियो Sudha Tripathi 0530@radhya Satyajeet Roy  Pushpvritiya  R K Mishra " सूर्य " Ritu Aggarwal Darshan Raj divya