मैं थी एक नदी,तुम धार हो मैं पायल तुम झंकार हो मैं खुली आसमाँ के रातों सा तुम ठंडी पवन बयार हो मैं एक उपवन में लगी हुई तुम मुझ में खिली सिंगार हो मैं गानों से भरी हुई तुम राग छेड़ वो सितार हो मैंने तुमको प्यार किया जैसे रुत सावन की बहार हो। मैं अब तेरे पास नहीं पर मेरे अक्स का हिस्सा है तू एक कहानी बुनी थी मैंने उस प्यार का किस्सा है तू। मैंने बस जग़ छोडा है तेरी याद बसा के सीने में तू खिलती रहे तू हस्ती रहे तेरी खुशी का मोल नगीने में। जब भी आए याद मेरी तुम रोना ना इतना करना कि आसमान को देख जरा बस थोड़ा सा मुस्का लेना। मैं साथ हमेशा हूँ तेरे मैं पास हमेशा हूँ तेरे तुम ना सोचो मैं चली गई मैं हर एक आस में हूँ तेरे। ©Sandeep Sagar #maa सागर की डायरी से 📖🖋😊❤️