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कटु-सत्य।। सच्चाई का भान जिसे वो सच ही तो कह जाएग

 कटु-सत्य।।

सच्चाई का भान जिसे वो सच ही तो कह जाएगा।
पर पोंगा पंडित तुम देखो पन्ने रंगता रह जाएगा।

कलम लिए जो हाथ खड़ा तलवारों से कब डरता है,
धमनी में जो लहू पड़ा बन कर स्याही बह जाएगा।
 कटु-सत्य।।

सच्चाई का भान जिसे वो सच ही तो कह जाएगा।
पर पोंगा पंडित तुम देखो पन्ने रंगता रह जाएगा।

कलम लिए जो हाथ खड़ा तलवारों से कब डरता है,
धमनी में जो लहू पड़ा बन कर स्याही बह जाएगा।