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सारे सपने टूट गए हैं, ये जज्बात कहें तो किससे? मेर

सारे सपने टूट गए हैं,
ये जज्बात कहें तो किससे?
मेरे अपने रूठ गए हैं,
दिल की बात कहें तो किससे?
मैं तो बस ख़ामोश रहा था,
मुझको न कोई होश रहा था,
मैं था उनके साथ मगर दिल,
बार बार क्यों कोष रहा था?
दिल की बस्ती लूट गए हैं,
ये हालात कहें तो किससे?
मेरे अपने रूठ गए हैं,
दिल की बात कहें तो किससे?
बेबस आंखें देख रहीं थीं,
उनकी नीयत नेक नहीं थी,
अरमानों में आग लगाकर,
खुद की बोटी सेंक रही थीं।
सारे रिश्ते भीग गए हैं,
वो बरसात कहें तो किससे?
मेरे अपने रूठ गए हैं,
दिल की बात कहें तो किससे?

©Ashish Tripathi "kumar"
  #dilkibaat #kavita #kumarshayari  Devesh Dixit  Shubhangi Sutar Damodar prasad Raj Dp Singh Nisha Meena