Nojoto: Largest Storytelling Platform

जलते भी हैं अपने, जलाते भी है अपने। ये कैसा दुनिय

जलते भी हैं अपने,
जलाते भी है अपने। 
ये कैसा दुनिया का दस्तूर है।
पास रखते भी है अपने, 
दूर करते भी है अपने।
सपने सजाते भी है अपने, 
सपने तोड़ते भी है अपने ।
ये कैसा दुनिया का दस्तूर है।
जोड़ते भी है अपने, 
छोड़ते भी है अपने।
जख्म देते भी है अपने, 
मलहम देते भी है अपने। 
ये कैसा दुनिया का दस्तूर है।
दुख देते भी है अपने, 
सुख देते भी है अपने।

©Narendra kumar
  #Fire
narendrakumar3882

Narendra kumar

New Creator
streak icon15

#Fire

117 Views