23 मार्च के अंक में प्रकाशित आलेख कहानी याचना मालिक के महामंडल के में राज्य सरकार ने देश के ऐसे नेताओं का जिक्र किया जिन्हें देशद्रोही करार देना अनुचित नहीं होगा क्योंकि यह जिस आतंकी खलनायक का साथ देते हुए हमारे देश के लिए बड़ा खतरा साबित होता है हिंदुस्तान की सबसे बड़ी विडंबना यही है कि हम पंथनिरपेक्ष अकीरा आंख बंद कर कर चलते हैं और यह भूल जाते हैं कि अभी भी बहुत कुछ से नेता ऐसे हैं जो महजब या धर्म को आड़ लेकर अपने देश में पीठ पीछे खंजर भोंकने का काम कर रहे हैं बाहर से भले ही पंथनिरपेक्षता की बात करें किंतु अंदर से वह पसंदीदा रंग चढ़ता से षड्यंत्र कर के भीतर चलते रहे इसलिए जब भी उनके अपने महेश पर कभी अतिक्रमण या खतरा होता देखने को मिलता है तो वह तुरंत सक्रिय हो जाते हैं लेखक या सनी मलिक की सच्चाई को सामने रखने के साथ ही नेताओं को आड़े हाथों लिया जाता यू आईना बनाने के लिए हुए कते समाज के नेताओं में बस कृत करना चाहिए जो आतंकी सहयोग करते हैं और उनसे जुड़ी चीजों को समाज में सकारात्मक दृष्टिकोण डालने का प्रयास करते हैं जैसे सांप होने लग जाने के बाद वह काटना नहीं छोड़ सकता ठीक उसी तरह आतंकी की छवि कितनी ही अच्छी बन जाए किंतु वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ सकता इसके परिणाम आज यासमीन मलिक की स्थिति आया कर रही है समाज में पंथनिरपेक्ष तब तक संभव नहीं है जब तक धर्म की परिभाषा में जब के आधारों पर होगी सभी का एक ही सर्वोपरि धर्म होना चाहिए और वह मानवीय धर्म जिस पर कुछ नहीं हो सकता ©Ek villain #मानवीय धर्म की राह #Hope