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Sonal Panwar

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SHAYARA BANO

#मानवीय क्रूरता #कविता

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नफरत से भरी मेरी निगाहें,
और नफरत पर ही फिदा हूं मैं।

आंसू बहा रही इंसानियत
कितना बेरहम ,बेहया हूं मैं।

प्रकृति से लड़कर खुद के लिए
 इजाद कर ली आराम की चीज़ें,

अनेक जानें ली, प्रकृति को रौंदा 
कितना वहशी ,दरिंदा हूं मै।

जिससे है मेरा वजूद 
उसी से जुदा हूं मैं।

05/04/2023

©SHAYARA BANO #मानवीय क्रूरता

Ek villain

#मानवीय धर्म की राह #Hope #Society

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23 मार्च के अंक में प्रकाशित आलेख कहानी याचना मालिक के महामंडल के में राज्य सरकार ने देश के ऐसे नेताओं का जिक्र किया जिन्हें देशद्रोही करार देना अनुचित नहीं होगा क्योंकि यह जिस आतंकी खलनायक का साथ देते हुए हमारे देश के लिए बड़ा खतरा साबित होता है हिंदुस्तान की सबसे बड़ी विडंबना यही है कि हम पंथनिरपेक्ष अकीरा आंख बंद कर कर चलते हैं और यह भूल जाते हैं कि अभी भी बहुत कुछ से नेता ऐसे हैं जो महजब या धर्म को आड़ लेकर अपने देश में पीठ पीछे खंजर भोंकने का काम कर रहे हैं बाहर से भले ही पंथनिरपेक्षता की बात करें किंतु अंदर से वह पसंदीदा रंग चढ़ता से षड्यंत्र कर के भीतर चलते रहे इसलिए जब भी उनके अपने महेश पर कभी अतिक्रमण या खतरा होता देखने को मिलता है तो वह तुरंत सक्रिय हो जाते हैं लेखक या सनी मलिक की सच्चाई को सामने रखने के साथ ही नेताओं को आड़े हाथों लिया जाता यू आईना बनाने के लिए हुए कते समाज के नेताओं में बस कृत करना चाहिए जो आतंकी सहयोग करते हैं और उनसे जुड़ी चीजों को समाज में सकारात्मक दृष्टिकोण डालने का प्रयास करते हैं जैसे सांप होने लग जाने के बाद वह काटना नहीं छोड़ सकता ठीक उसी तरह आतंकी की छवि कितनी ही अच्छी बन जाए किंतु वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ सकता इसके परिणाम आज यासमीन मलिक की स्थिति आया कर रही है समाज में पंथनिरपेक्ष तब तक संभव नहीं है जब तक धर्म की परिभाषा में जब के आधारों पर होगी सभी का एक ही सर्वोपरि धर्म होना चाहिए और वह मानवीय धर्म जिस पर कुछ नहीं हो सकता

©Ek villain #मानवीय धर्म की राह
#Hope

Ayesha Aarya Singh

#मानवीय स्पर्श #humantouch #lovehuman #lovehumanbeing #Prem #Ayesha #thought poem✍🧡🧡💛 मानवीय स्पर्श शारीरिक स्नेह का वह छोटा सा अंश है जो थोड़ा आराम, समर्थन और दया लाता है। यह देने वाले से ज्यादा कुछ नहीं लेता है, लेकिन इसे प्राप्त करने वाले में बहुत बड़ा परिवर्तन हो सकता है। #प्रेमवश ❤❤❤🤗🤗🤗 Mk Madhav Monu Kumar SIDDHARTH SHENDE B Ravan Sethi Ji

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मानवीय स्पर्श शारीरिक स्नेह का 
वह छोटा सा अंश है जो थोड़ा आराम, समर्थन और दया लाता है।  
यह देने वाले से ज्यादा,
कुछ नहीं लेता है, 
लेकिन इसे प्राप्त करने वाले में 
बहुत बड़ा परिवर्तन हो सकता है। 
🤗प्रेमवश🤗

©Ayesha Aarya Singh #मानवीय स्पर्श #humantouch 
#lovehuman
#lovehumanbeing 
#prem
#Ayesha
#thought 
#poem✍🧡🧡💛 
मानवीय स्पर्श शारीरिक स्नेह का वह छोटा सा अंश है जो थोड़ा आराम, समर्थन और दया लाता है।  यह देने वाले से ज्यादा कुछ नहीं लेता है, लेकिन इसे प्राप्त करने वाले में बहुत बड़ा परिवर्तन हो सकता है। #प्रेमवश ❤❤❤🤗🤗🤗  Mk Madhav Monu Kumar SIDDHARTH SHENDE  B Ravan Sethi Ji

उपांशु शुक्ला

#पुरुषप्रधान#मानवीय विधानउपांशु

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kumar __Ashu

#OpenPoetry

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#OpenPoetry ईश्वर सबकी व्यथा सुनता है, 
सब दुनिया से निराश होकर उसके पास जाते है, दुखान्त सुनाने
 मगर जब ईश्वर ने मानवीय रूप लिया होगा
तो पायी होंगी मानवीय संवेदना भावना सुख दुख सब कुछ
और वही दुखान्त वही विषाद वही व्यथा 
मगर ईश्वर किन्हें सुनाता ?
समाज की नजरों में वो मुक्त हो चुका है 
दुख से , विषाद से, मोह से , चाह से,
मगर मानता है समाज
कि ईश्वर प्रसन्न होते है, क्रोधित होते हैं, प्रभावित भी होते है,
इन सब से देते हैं वो आशीर्वाद, श्राप, वरदान 
पर कभी दुखी नही हो सकते ?
क्योंकि दुखी व्यक्ति क्या दे सकता है ?
शायद इसीलिए नही होते कभी दुखी ?
और कभी हो भी जाये, तो कौन समझता,
सब सुनते है बाँसुरी की धुन जो सबको मोह लेती है,
और इस तरह ईश्वर अपनी पीड़ा, दुख, विषाद से भी 
दुसरों के लिए चुनता है सुख, और बना रहता है दुख से मुक्त
समाज की नज़रों में,
और ऐसे बनती है बाँसुरी सबसे करीब उसके !!! #OpenPoetry

kumar __Ashu

ईश्वर सबकी व्यथा सुनता है, 
सब दुनिया से निराश होकर उसके पास जाते है, दुखान्त सुनाने
 मगर जब ईश्वर ने मानवीय रूप लिया होगा
तो पायी होंगी मानवीय संवेदना भावना सुख दुख सब कुछ
और वही दुखान्त वही विषाद वही व्यथा 
मगर ईश्वर किन्हें सुनाता ?
समाज की नजरों में वो मुक्त हो चुका है 
दुख से , विषाद से, मोह से , चाह से,
मगर मानता है समाज
कि ईश्वर प्रसन्न होते है, क्रोधित होते हैं, प्रभावित भी होते है,
इन सब से देते हैं वो आशीर्वाद, श्राप, वरदान 
पर कभी दुखी नही हो सकते ?
क्योंकि दुखी व्यक्ति क्या दे सकता है ?
शायद इसीलिए नही होते कभी दुखी ?
और कभी हो भी जाये, तो कौन समझता,
सब सुनते है बाँसुरी की धुन जो सबको मोह लेती है,
और इस तरह ईश्वर अपनी पीड़ा, दुख, विषाद से भी 
दुसरों के लिए चुनता है सुख, और बना रहता है दुख से मुक्त
समाज की नज़रों में,
और ऐसे बनती है बाँसुरी सबसे करीब उसके !!! #nojoto #love #ashu #mythoughts #mypen #nostalgia

ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)

आंतकवाद --------------,,,,,,,,,,,,,,,,, आंतकवाद को किसी सरहद पर निवास नही करता,,,,, आंतकवाद इंसान के जेहन की परम्परा है आंतकवाद किसी राष्ट्र का दुश्मन नही बल्कि वो मानवता का हत्यारा होता है आंतकवाद हिंसाओ का दुसरा नाम है,,सामान्यत मानवीय राक्षस होते है जो जो ईश्वर की नही बल्कि मानवीय दुष्ट कृति है

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आतंकवाद आतंकवाद का कोई "वतन" नही होता,,,

यह  होती जुल्मो की दुनियाँ,,,,, आंतकवाद --------------,,,,,,,,,,,,,,,,,

आंतकवाद को किसी सरहद पर निवास नही करता,,,,, आंतकवाद इंसान के जेहन की परम्परा है

आंतकवाद किसी राष्ट्र का दुश्मन नही बल्कि वो मानवता का हत्यारा होता है

आंतकवाद हिंसाओ का दुसरा नाम है,,सामान्यत मानवीय राक्षस होते है जो
 जो ईश्वर की नही बल्कि मानवीय दुष्ट कृति है

LalitPurohit

अभी में किससे रुठु किसे मनाऊ 

अभी किससे में मेरा दर्द और ख़ुशी बताऊ 

अब किसके सहारे में जियूं 

तूने साथ नही छोड़ा 

मगर तू इस मानवीय घर से दूर जा बैठी है 

लेके चल मुझे 

नया मानवीय घर देख के 
फिर से जिंदगी की अधूरी कहानी पूरी करे 

lalitpurohit28 #NojotoQuote #RealStory #RealLove #LoveYou #lalitpurohit28
#NojotoHindi

Harshul Pandey

क्या जीवन में प्रेम ही सबकुछ है? प्रेम एक मानवीय भावना है। इसके लिए आपको स्वर्ग जाने की जरूरत नहीं है। हृदय की मिठास को ही प्रेम कहते हैं। मेरे लिए यह परीक्षा की घड़ी थी और उसी समय से मैं खुद से बिना किसी लाग-लपेट के सच बोलने की कोशिश करने लगी। सद्‌गुरु के साथ ईशा योग करने के बाद मैं यह जान सकी हूं कि इससे आप स्वयं को दर्पण की तरह साफ देखने लगते हैं। मेरे मन में ये विचार उछल रहे थे तभी मैंने घड़ी पर नजर डाली। आधी रात का दो बीस बजा देख कर मैं चौंक गयी। हम अपने निजी टापू पर धधकती आग के पास साथ ब

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क्या जीवन में प्रेम ही सबकुछ है?
प्रेम एक मानवीय भावना है। इसके लिए आपको स्वर्ग जाने की जरूरत नहीं है। हृदय की मिठास को ही प्रेम कहते हैं।

मेरे लिए यह परीक्षा की घड़ी थी और उसी समय से मैं खुद से बिना किसी लाग-लपेट के सच बोलने की कोशिश करने लगी। सद्‌गुरु के साथ ईशा योग करने के बाद मैं यह जान सकी हूं कि इससे आप स्वयं को दर्पण की तरह साफ देखने लगते हैं।

मेरे मन में ये विचार उछल रहे थे तभी मैंने घड़ी पर नजर डाली। आधी रात का दो बीस बजा देख कर मैं चौंक गयी। हम अपने निजी टापू पर धधकती आग के पास साथ ब
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