क्या कहूं मैं उससे, जो है मेरी हर बात से बेखबर, मेरी जिस दिन बात न हो उससे, तो मेरे यहां होती नहीं सहर, चारों दिशा में देखने पर भी, बस आता है वो ही नज़र, लेती रहती हूं नाम उसका, यूं ही कट जाता है दिन, यूं ही रातें जाती है गुज़र, वो जानता तो होगा मेरे मन की बात, यूं ही नहीं जाती हर बात उस पर ठहर, मुलाक़ात को तरस रहे हैं हम, जबकि ज़्यादा दूर नहीं हैं हमारे शहर ख्यालों में रहता है वो उसको मालूम है ये, उसके ख़्याल ही हैं जो मुझे संभालते हैं हर पहर..!! - Kiran ✍🏻❤️🧿 ©ख्वाहिश _writes #WatchingSunset