Nojoto: Largest Storytelling Platform

दौलत की चाह थी तो कमाने निकल गए, दौलत मिली तो हाथ

दौलत की चाह थी तो कमाने निकल गए,
दौलत मिली तो हाथ से रिश्ते निकल गए,
बच्चों के साथ रहने की फुर्सत न मिल सकी,
फुर्सत मिली तो बच्चे ही घर निकल गए

mohammad tahir

©Raj R
  समझने ही नहीं देती सियासत हम को सच्चाई,
कभी चेहरा नहीं मिलता कभी दर्पन नहीं मिलता।

समझने ही नहीं देती सियासत हम को सच्चाई, कभी चेहरा नहीं मिलता कभी दर्पन नहीं मिलता। #शायरी

168 Views