वो जो मासूम कंधा कीलों के वजन उठा रहे है और तुम सोच रहे हो वो उज्वल भविष्य साथ लेकर चल रहे है वो तुम्हारे आखों के भ्रम है भविष्य के रीढ़ मज़बूत नहीं तुम बर्तमान के रीढ़ तोड़ने की कोशिश करते आ रहे हो समय के साथ उसे भागना नहीं उसको बोझ तले रोंदना सिखाते आ रहे हो किताबों से उसका रिश्ता गहरा और हकीकत से नाता तोड़ना सिखा रहे हो इस भाग दौड़ दुनिया में उसका जो बचपन पीछे रह गया क्या तुम उसे ला पा रहे हो? वे तो रिश्ते नाते और प्यार संबंध ये सब किताबों में देखे है क्या कभी हकीकत क्या है उनको तुम दिखा पा रहे हो? वो जो मासूम कंधा कीलों के वजन उठा रहे है और तुम सोच रहे हो वो उज्वल भविष्य साथ लेकर चल रहे है वो तुम्हारे आखों के भ्रम है भविष्य के रीढ़ मज़बूत नहीं तुम बर्तमान के रीढ़ तोड़ने की