मेरे देश मे बड़े ही दुर्भाग्य की बात ह जीत-जागता आदमी कड़ा ह फिर भी उसकी कोई पहचान न ह identity प्रूफ करो,identity प्रूफ करो सामने क्या तेरा बाप खड़ा ह। कागज ह तो इंसान ह वरना क्या वो कोई जादू की दुकान ह जो खड़ा ह,क्या वो इंसान ना ह सुच कहते ह corruption का बोल बाला हो गया ह जीता जागता आदमी मर गया ह सिस्टम वाले खुद के ही रूल बना लेते ह जहां से पैसा मिले, वहाँ हाथ निकाल लेते हैं। कब खुद से नही सम्भलता तो अपना हुलिया छिपा लेते है। पैसो के लिए 3-3बिचोलियों को खड़ा कर देते ह पैसे देओ, साहब बिजी ह, कह के अपना पत्ता साफ कर लेते ह। जीते जागते आदमी का घुमा फिरा के भूत बना फेये ह। कलम ह हमारे हाथ मे, हम बस लिख सकते ह।ओर Aआप बच ओर बचा सकते ह इन युवाओं को जगा सकते ह। क्या लिखूं अब