महोब्बत के चिराग़ो की रोशनी सा उसकी आँखों में दिखने लगा हूँ.!! इश्क की किताबें बनकर बाज़ारों में बिकने लगा हूँ.!! है मैहफिल में वाह-वाही मेरे नाम की लगता है मैं भी अच्छा लिखने लगा हूँ.!!! ©rajat kumar my poetry #BookShelf