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क्यूं नाराज मैं खुद से.... वो सब हकीकत है, फसाना

क्यूं नाराज मैं खुद से....
वो सब हकीकत है,  फसाना क्या....
जमानत में ही बरबाद हो लिए हम...
तो कर्ज फिर चुकाना क्या....
रे अजीज मेरी आजिजी सुनो...
रस्म ए उल्फत  फिर छुपाना क्या....
मेरे अश्कों की भाप तो तेरे दामन तक पहुंची होगी....
तो फिर मिन्नत क्या बिलखना क्या...
वो किस्सा तेरे ही दामन से उपजा था....
तो आ इकरार कर बहाना क्या...

©Manish Choudhary
  #कश्मकश