सागर और नदी दोनों ही जल की राशियां है किंतु दोनों में अंतर देखिए कितना है जब वर्षा होती है, नदी अपना स्थर बड़ा लेती है। इतना बड़ा लेती है कि कभी कबार तट को तोड़ कर भह जाती है। विध्वंश मचा देती है। यही वर्षा ना हो तो सूख जाती है ये नदी एक महीन धारा में परिवर्तित हो जाती है। दूसरी और है सागर अब सागर को देखिए यदि कोई नदी आके सागर में सम्मिलित भी हो जाए। तब भी सागर अपना स्तर नहीं बढ़ाता सूर्य की गर्मी चाहे जितनी भी बढ़ जाए उस ताप के कारण सागर अपना स्तर नहीं घटता। शांत चित रहता है। संतुलन में सब कुछ रखता है और इसीलिए तो इतना विशाल इतना महान है ये सागर, यदि आप भी महान बनना चाहते हैं अपने व्यक्तित्व को विशाल बनाना चाहते हैं तो स्मरण रखिएगा। आपको इस सागर की भांति बनना होगा, शांत चित रहिए सब कुछ संतुलन में रखिए यदि जीवन में कुछ अधिक ही सुख आ जाए तो अपनी सुद बुद्ध मत खोइएगा। यदि जीवन में दुख आ जाए, कष्ट आ जाए तो अपना निश्चय अपना लक्ष्य और अपनी शक्ति मत भूलिएगा क्योंकि यही श्रेष्ठता व्यक्ति का आचरण है। राधे राधे ©Karan Mehra #krishnvani