ज़िन्दगी के फ़लसफे बटोर रहा हूँ, अपने सपनों के अरमां समेट रहा हूँ, कुछ याद करते हुए,नग़मे गुनगुना रहा हूँ, जिंदगी की कश्मकश में डूबे जा रहा हूँ। कई बार हार से गुफ्तगू हुई मेरी, बोला!कब सीखेगा जिंदगी की कला? मैंने कहा-सुनिए ज़रा.. भले ही,इस कश्मकश में अपने सब डूबे जा रहे हैं, लेकिन इस दरिया-ए-हयात में मेरे फ़लसफ़े उभर रहे हैं। #NojotoQuote जिंदगी के फ़लसफ़े बटोर रहा हूँ!