मैं हूँ बाउंडरी मैन..!! कहने को तो प्रतियोगी छात्र हूँ, पर किस्मत से बेरोजगार हूँ.. साली किस्मत ना तो अच्छी है ना ही बुरी, नंबर न इतने खराब आते कि तैयारी छोड़ दूं, ना इतने अच्छे आते की नौकरी लग जाये। ये साली 1, 2 नंबर से किस्मत 4 साल से मज़े ले रही है, दोस्तो के नौकरी पत्र देखकर अच्छा तो लगता है, पर दिल ही दिल जो चुभन है वो बयां भी ना कर सकता.. हर साल पिछले कटऑफ से ज्यादा लाता हूँ, पर ये दशमलव के नंबर ही कम रह जाते हैं, और नौकरी फिर सालों दूर चली जाती है। दोष भी किसे दुँ,घटती वेकैंसी को,निजीकरण को, आरक्षण को,वेटिंग लिस्ट की कमी को,3 साल लंबी परीक्षा प्रक्रिया को, या चीटिंग माफिया को,ये साले कोचिंग वाले भी तो कम नहीं.. थक भी नहीं सकता,रुक भी नहीं सकता, दिल पत्थर से हो गया है,या मन ही तानों से पथरा गया है, कोई भी चमन चू**या घर आके ज्ञान पेल के चला जाता है, चाहे रिश्तेदार हो, या दोस्त यार हीं... शायद उनको पता ही नहीं चलता,अपने गुणगान के बखान में, दोस्त के जज़्बात नहीं समझ पाते.. खैर समझना तो घरवालों ने भी छोड़ दिया है, और छोड़ें भी क्यों नहीं,हर बार दशमलव से रह जाता हूँ.. पता है कटऑफ नहीं फुल मार्क्स chase करना है, पर पढ़ाई मैं भी तो पूरे मार्क्स के लिए करता हूँ। हंसती मौज करती पार्टी करती दुनियां के बीच गणित और ग्रामर में उलझा रहता हूँ..ना कोई गलत लत है, न शराब सुट्टा, अब तो चाय की टपरी भी कम ही जाता हूँ,ना कोई लड़की दोस्त ही बनती है, और बने भी क्यों, जब इतने सक्सेसफुल ऑप्शन्स हैं.. खैर जिंदगी जंग है,हार मानना सीखा ही कब है,आज नही तो कल, ये नहीं तो कुछ और,करूँगा जरूर कुछ ना कुछ, कुछ ऐसा, कुछ बेहतर,कि बाबा को नाज़ हो, फक्र हो। सही रास्ते कब तक तकलीफ दे सकते, इसकी लिमिट देखने के लिए, बनाये गए हैं हम जैसे बाउंडरी मैन..!! आपका अपन ©purvarth #boundary_man