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याद है तुम्हें तुम उस रोज गिटार से एक धुन को छेड़

याद है तुम्हें तुम उस रोज गिटार से एक धुन 
को छेड़ते हुए एक टक मुझे निहारे जा रहे थे

ऐसा लगा जैसे उस धुन की सत्यता अपने आँखों से
मेरे आँखों मे पिरोये जा रहे हो

और मै घबराहट मे कुछ समझ नही पाई और 
गलत  चलचित्र का नाम ले बैठी

 तब तुमने कहा था तुम सिर्फ़ धुन पर ध्यान दो
 
उफ्फ! तुम्हारी दिव्यता की आज भी कायल हूँ मै
आख़िर उस रोज तुम नियति जान बैठे थे

 तुमने कहा ध्यान दो! 

और मै भी अच्छी श्रोता बन मान गई
मै आज भी उसी धुन मे अटकी पड़ी हू

शायद! "आत्मा से आत्मा का आसक्ति" इसे ही कहते है

©चाँदनी #Srk&Katrina
याद है तुम्हें तुम उस रोज गिटार से एक धुन 
को छेड़ते हुए एक टक मुझे निहारे जा रहे थे

ऐसा लगा जैसे उस धुन की सत्यता अपने आँखों से
मेरे आँखों मे पिरोये जा रहे हो

और मै घबराहट मे कुछ समझ नही पाई और 
गलत  चलचित्र का नाम ले बैठी

 तब तुमने कहा था तुम सिर्फ़ धुन पर ध्यान दो
 
उफ्फ! तुम्हारी दिव्यता की आज भी कायल हूँ मै
आख़िर उस रोज तुम नियति जान बैठे थे

 तुमने कहा ध्यान दो! 

और मै भी अच्छी श्रोता बन मान गई
मै आज भी उसी धुन मे अटकी पड़ी हू

शायद! "आत्मा से आत्मा का आसक्ति" इसे ही कहते है

©चाँदनी #Srk&Katrina