याद है तुम्हें तुम उस रोज गिटार से एक धुन को छेड़ते हुए एक टक मुझे निहारे जा रहे थे ऐसा लगा जैसे उस धुन की सत्यता अपने आँखों से मेरे आँखों मे पिरोये जा रहे हो और मै घबराहट मे कुछ समझ नही पाई और गलत चलचित्र का नाम ले बैठी तब तुमने कहा था तुम सिर्फ़ धुन पर ध्यान दो उफ्फ! तुम्हारी दिव्यता की आज भी कायल हूँ मै आख़िर उस रोज तुम नियति जान बैठे थे तुमने कहा ध्यान दो! और मै भी अच्छी श्रोता बन मान गई मै आज भी उसी धुन मे अटकी पड़ी हू शायद! "आत्मा से आत्मा का आसक्ति" इसे ही कहते है ©चाँदनी #Srk&Katrina