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न किसीको पाने की जब मुझे तम्मना थी तब उनसे मुलाक़ा

न किसीको पाने की जब मुझे तम्मना थी तब उनसे मुलाक़ात हुई,
हर रोज़ वक़्त पर सोने वाले की पहली दफ़ा इतनी देर से रात हुई,
के तिश्नगी और इत्तेफ़ाक का एक ऐसा मंज़र शुरू हुआ ऐ ग़ालिब, 
उनके मोहल्ले से जब गुज़र रहा था कमबख्त उस पल ही बरसात हुई।

©Akash Kedia #rain #Love #thoughts #Shayar #Shayari
न किसीको पाने की जब मुझे तम्मना थी तब उनसे मुलाक़ात हुई,
हर रोज़ वक़्त पर सोने वाले की पहली दफ़ा इतनी देर से रात हुई,
के तिश्नगी और इत्तेफ़ाक का एक ऐसा मंज़र शुरू हुआ ऐ ग़ालिब, 
उनके मोहल्ले से जब गुज़र रहा था कमबख्त उस पल ही बरसात हुई।

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akashkedia1107

Akash Kedia

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