मैं तुमसे कुछ नहीं पूछती, इसलिए नहीं कि, पूछने को कोई प्रश्न शेष नहीं, असमंजस में, तुम्हें अनुत्तरित करना नहीं चाहती, तुम्हारे मौन या, खंडित सत्य से, स्वयं को और रिक्त करना नहीं चाहती। न प्रतीत,न प्रमाण, कुछ भी प्रतिकूल, स्वीकारना नहीं चाहती, संबंध,समर्पण, और निष्ठा पर, कोई प्रश्न-चिह्न लगाना नहीं चाहती । मैं तुमसे कुछ नहीं पूछती, इसलिए नहीं कि, पूछने को कोई प्रश्न शेष नहीं, असमंजस में तुम्हें, अनुत्तरित करना नहीं चाहती, तुम्हारे मौन या खंडित सत्य से, स्वयं को और रिक्त करना नहीं चाहती। न प्रतीत,न प्रमाण,