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गरज रहे हैं बादल चमक रही हैं बिजुरिया। बूंदों की त

गरज रहे हैं बादल चमक रही हैं बिजुरिया।
बूंदों की ताल पर नाच रही हैं गुजरिया ।।

मन को हरण भयो अब सावन में घटा छाई।
घूँघट की ओट से ही निहारे है नयी बहुरिया।।

अपलक राह निहारें नैना आओ रे सांवरिया।
वचन वह याद करो जब पड़ी थी भांवरिया।।

न छोड़ोगे अकेले मोहे एक कसम थी खाई।
पथरा गई हैं अखियांँ सूनी डरी  हैं डगरिया।।

©Raj Guru
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